हवा में नहीं टिका दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज, नींव के दायरे में बस जाएगी कॉलोनी

नई दिल्‍ली. माता वैष्‍णो देवी कटड़ा से श्रीनगर के बीच शुक्रवार को पहली ट्रेन रवाना होगी, जो विश्‍व के सबसे ऊंचे ब्रिज से होकर गुजरेगी. प्रधानमंत्री कटड़ा में आयोजित एक समारोह में इस ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. एफिल टॉवर से ऊंचे इस ब्रिज की मजबूती का अंदाजा इसकी बात से लगाया जा सकता है कि जिस स्‍थान पर इसकी नींव भरी गयी है वो स्‍थान एक फुटबाल मैदान के एक तिहाई किस्‍से के बराबर है. यानी एक छोटे मोटी कालोनी यहां पर बस जाए.

भारतीय रेलवे के अनुसार ब्रिज की नींव को विशेष रूप से भूकंप और तेज़ हवाओं के प्रभाव को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह गहरी नींव चिनाब नदी के तल की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. पहाड़ों में गहराई तक ड्रिल करके नींव बनाई गयी है, ताकि यह भूकंप और भूस्खलन को सह सके. इसकी नींव फुटबाल मैदान के एक तिहाई क्षेत्रफल के बराबर जमीन पर बनाई गयी है. जिससे किसी भी तरह के संभावित आपदा या खतरे के दौरान ब्रिज को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे. फुटबाल के मैदान 7,140 वर्ग मीटर के आसपास होता है. इस तरह 2400 वर्ग मीटर के आसपास क्षेत्रफल में नींव भरी गयी है.

निर्माण में खास तकनीक का हुआ इस्‍तेमाल

पुल को कैंटिलीवर विधि से बनाया गया, जिसमें स्टील के तारों और क्रेनों का इस्तेमाल हुआ. इस विधि से बिना नीचे सपोर्ट के आर्च बनाया गया. पहाड़ी इलाके और खराब मौसम में काम करना मुश्किल था. पहले से बने स्टील के टुकड़ों को साइट पर जोड़ा गया.

और भी खासितय

यह भारत का पहला ऐसा ब्रिज है जो 30 किलोग्राम विस्फोटकों से होने वाले ब्लास्ट को झेल सकता है, जिससे इसे ब्लास्ट-प्रूफ माना जाता है. यानी पड़ोसी दुश्‍मन भी इस ब्रिज का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा. यह ब्रिज -10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. जो जम्मू-कश्मीर के चरम मौसम के लिए उपयुक्त है.

119 किमी.लंबी हैं कुल सुरंग

यूएसबीआरएल परियोजना में 38 सुरंगें (संयुक्त लंबाई 119 किमी) हैं. सबसे लंबी सुरंग (टी-49) की लंबाई 12.75 किमी है और यह देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट सुरंग है. कुल 927 पुल हैं,

Leave a Comment